
गणपति महोत्सव की जानकारी देते हुए उनकी बड़ी बहू चित्रा नगरकर ने बताया कि समाज में एकजुटता के लिए बाल गंगाधर तिलक जी द्वारा 1893 में गणपति महोत्सव की शुरुआत की गई, वर्तमान में ये बड़े श्रद्धा व उत्साह के साथ मराठी परिवार ही नही बल्कि समाज का हर वर्ग मनाता है, 1978 से कुछ समय पूर्व तक आत्रे परिवार द्वारा किर्लोस्कर कंपाउंड में किया जाता था, जिसमें ब्रह्मालीन महंत अवैध नाथ जी व उनके बाद योगी आदित्य नाथ जी की गरिमामयी उपस्थिति रहती थी।

गणपति विसर्जन अपनी सुविधानुसार कोई परिवार डेढ़ दिन, कोई 3 दिन व कोई दस दिन विघ्नहर्ता गणपति की पूजा करके उनको अगले साल बुलाते हुए उनका विसर्जन करते हैं। मान्यता है कि सच्चे मन से गणपति बप्पा की आराधना से सभी प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है। नगरकर परिवार के लोग भी लगभग 100 वर्षो से अपने निवास पर गणपति की स्थापना कर 10 दिनों की पूजा करने के बाद उनका विसर्जन करते हैं, इन 10 दिनों में समाज के भिन्न भिन्न धर्मो के लोग भी आकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं,आज 10 दिनों की पूजा के साथ गणपति विसर्जन किया गया। व सभी ने प्रसाद ग्रहण किया।

इस वर्ष दीपक आत्रे, स्मिता, सुधीर आत्रे, शोभा होसिंग, अंजली, विनोद सहस्त्रबुद्धे, अनिल सप्रे, रामगोपाल दुबे, अद्वैत, कादम्बिनी, निर्मान रॉय, नवीन, शरद शुक्ला, रीतू, मुक्ति, विवेक, निरुपमा, माया, कीर्ति नागरकार, नूतन, समृद्धि, सृष्टि, अविरल, नंदकिशोर, यूसुफ, राशिद, विक्रम सरकार, रितेश, विवेक, धीरज, सुमित, वंदित सिंह, राहुल, वैभव गुप्ता, इरशाद आदि की सहभागिता रही।
2 Comments
बहोत बढीया,महाराष्ट्र की,यह परंपरा हमेशा जारी रखना.
ReplyDeleteआप सबका अभिनंदन महाराष्ट्र की
ReplyDeleteसंस्कृतीक परंपरा का आप नगरकर
परिवार जतन कर रहा है आप सबको हादीँक शुभकामना