
मुख्य वक्ता मुफ्तिया गाजिया खानम अमजदी ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह पाक के आखिरी नबी व रसूल हैं। आपके बाद अब कोई नया नबी, रसूल नहीं पैदा होगा। यह कुरआन व हदीस में स्पष्ट तौर पर बता दिया गया है। यह फित्नों का दौर है। बहुत सारे झूठे और धोखेबाज किस्म के लोग मुसलमानों का अकीदा खराब करने की साजिश लिए नबी होने का झूठा दावा करते हैं या कुछ लोग ऐसे झूठे लोगों को नबी मानते हैं। ऐसे लोगों से बचने और अपने बच्चों को तमाम अहम दीनी अकीदों के साथ बचपन से यह भी शिक्षा देने की जरूरत है कि हम जिस नबी (हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के उम्मती हैं वह अल्लाह पाक के आखिरी नबी व रसूल हैं उनके बाद कोई नया नबी पैदा नहीं होगा। अपने बच्चों को यह शिक्षा देना हमारी बहुत अहम जिम्मेदारी है।
विशिष्ट वक्ता शिफा खातून ने कहा कि दीन-ए-इस्लाम में तमाम नबियों पर ईमान लाने के साथ इस बात पर भी ईमान लाना जरूरी है कि पिछली शरीअतें खत्म हो चुकी हैं, लिहाजा दीन-ए-इस्लाम पर अमल करना दोनों जहां की कामयाबी के लिए जरूरी है। दीन-ए-इस्लाम में जिंदगी के लिए एक मुकम्मल निजाम है। दीन-ए-इस्लाम की एक खूबी यह भी है कि इस्लाम ने ईमानियात, इबादात, मुआमलात और मुआशरत में पूरी जिंदगी के लिए इस तरह रहनुमाई की है कि हर शख्स चौबीस घंटे की जिंदगी का एक-एक लम्हा अल्लाह की तालीमात के मुताबिक अपने नबी-ए-पाक हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तरीके पर गुजार सके। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमन व अमान की दुआ मांगी गई।
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